20 सितंबर 2025 - 09:44
मोमिन का ग़ुस्सा और खुशी

.....और जब उसे ताक़त मिलती है तो वह अपने हक़ से ज़्यादा नहीं लेता।

 :قالَ الرِّضا عليه السلام

.اَلْمُؤمِنُ اِذا غَضِبَ لَمْ يُخْرِجْهُ غَضَبُهُ عَنْ حَقٍّ، وَ اِذا رَضِىَ لَمْ يُدْخِلْهُ رِضاهُ فى باطِلٍ، وَ اِذا قَدَرَ لَمْ يَأْخُذْ اَكْثَرَ مِنْ حَقِّهِ। 

 [بحار الانوار، ج 75، ص 355.]

इमाम रज़ा अ.स.

मोमिन जब ग़ुस्सा होता है तो उसका गुस्सा उसे हक़ (सही रास्ते) से बाहर नहीं करता।
जब वह खुश होता है तो उसकी खुशी उसे ग़लत (बातिल) की ओर नहीं ले जाती।
और जब उसे ताक़त मिलती है तो वह अपने हक़ से ज़्यादा नहीं लेता।

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